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Assembly elections: ‘EVM हिज़बुल्लाह के पेजर्स से ज्यादा मजबूत हैं’, चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दावे को खारिज किया

Assembly elections: झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा से पहले, मंगलवार को कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने मांग की कि मतदान बैलेट पेपर से कराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) का उपयोग होता है, तो बीजेपी सरकार और चुनाव आयोग कुछ भी कर सकते हैं। राशिद अल्वी ने यह भी कहा कि अगर इज़राइल अपने पेजर्स के साथ छेड़छाड़ कर लोगों को मार सकता है, तो कुछ भी संभव हो सकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इज़राइल के अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए EVM पर संदेह व्यक्त किया।

चुनाव आयोग का जवाब: EVM पूरी तरह सुरक्षित

मंगलवार को चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा की। चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने EVM की विश्वसनीयता पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि EVM पूरी तरह से सुरक्षित हैं। कुमार ने कहा कि आजकल सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब पेजर्स में विस्फोट हो सकते हैं, तो EVM को कैसे हैक नहीं किया जा सकता? उन्होंने स्पष्ट किया कि पेजर्स कनेक्टेड होते हैं, लेकिन EVM नहीं। हम EVM से जुड़े हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं और पहले भी देते आए हैं।

Assembly elections: 'EVM हिज़बुल्लाह के पेजर्स से ज्यादा मजबूत हैं', चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दावे को खारिज किया

चुनाव आयोग ने कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी के दावे का खंडन करते हुए कहा कि ‘हमारी EVM हिज़बुल्लाह के पेजर्स से ज्यादा मजबूत हैं’। यह बयान उस आरोप पर आधारित था जो राशिद अल्वी ने लगाया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इज़राइल के साथ दोस्ती का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि EVM को हिज़बुल्लाह के पेजर्स की तरह ही छेड़ा जा सकता है और महाराष्ट्र चुनावों में विपक्ष को बैलेट पेपर से मतदान की मांग करनी चाहिए।

महाराष्ट्र में बैलेट पेपर से मतदान की मांग

विपक्ष शुरुआत से ही EVM को लेकर चुनाव आयोग पर निशाना साध रहा है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी लोकसभा चुनावों में भारी सफलता मिलने के बावजूद EVM पर भरोसा करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि भले ही उनकी सरकार बने, वे EVM पर भरोसा नहीं कर सकते।

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राशिद अल्वी ने हिज़बुल्लाह के पास मौजूद पेजर्स और वॉकी-टॉकीज़ का उल्लेख किया, जिनमें इज़राइल ने कथित तौर पर विस्फोटक उपकरणों में तब्दील कर दिया था। इसके साथ ही प्रधानमंत्री के इज़राइल से अच्छे संबंधों का हवाला देते हुए, अल्वी ने कहा कि महाराष्ट्र में विपक्ष को EVM के बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराने पर जोर देना चाहिए।

उन्होंने कहा, “अगर इज़राइल पेजर्स और वॉकी-टॉकीज़ से लोगों को मार सकता है, तो ईवीएम क्या चीज़ है? प्रधानमंत्री के इज़राइल से बहुत अच्छे संबंध हैं। इज़राइल इस प्रकार की चीज़ों में विशेषज्ञ है। EVM के साथ बड़ा खेल कहीं भी हो सकता है और इसके लिए बीजेपी चुनावों से पहले ऐसी तरकीबें अपनाती है।”

EVM पर उठते सवाल और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

हिसार और हरियाणा विधानसभा चुनावों में EVM के साथ कथित छेड़छाड़ के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि EVM “100 प्रतिशत सुरक्षित” हैं और “उन्हें हिज़बुल्लाह के पेजर्स की तरह हैक नहीं किया जा सकता, जिनका उपयोग विस्फोट के लिए किया जाता है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि EVM न तो इंटरनेट से जुड़ी होती हैं और न ही बाहरी नेटवर्क से, इसलिए उनमें छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है।

EVM की सुरक्षा को लेकर आश्वासन

चुनाव आयोग ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि EVM पूरी तरह से सुरक्षित और भरोसेमंद हैं। वे न तो ऑनलाइन होते हैं और न ही किसी बाहरी उपकरण से जुड़े होते हैं, इसलिए उनमें हैकिंग या छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है। इसके अलावा, EVM का निर्माण और उनका परीक्षण बहुत कड़ी प्रक्रियाओं से होता है, जिनमें हर चरण पर सुरक्षा की कड़ी निगरानी की जाती है।

चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि हर राजनीतिक दल और उम्मीदवार को अपने एजेंट भेजने का अधिकार होता है, ताकि वे EVM की प्रक्रिया की निगरानी कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि कोई भी अनियमितता न हो। इसके बावजूद, कुछ राजनीतिक दल समय-समय पर EVM को लेकर सवाल उठाते रहे हैं।

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विपक्ष का लगातार EVM पर संदेह

विपक्ष का आरोप है कि EVM के जरिए चुनावों में हेरफेर किया जा सकता है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है और कहा है कि EVM पूरी तरह से सुरक्षित हैं। इसके बावजूद, EVM को लेकर विपक्ष के कई नेताओं की शंका बनी हुई है।

राशिद अल्वी का यह बयान भी इसी शंका को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहेंगे, जब तक कि बैलेट पेपर से मतदान नहीं किया जाता। उनका मानना है कि बैलेट पेपर के जरिए ही निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संभव हैं।

EVM के प्रति बढ़ते अविश्वास का प्रभाव

चुनाव आयोग ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि EVM न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि उनका संचालन भी पूरी तरह पारदर्शी है। इसके बावजूद, EVM के प्रति विपक्षी दलों में अविश्वास बढ़ता जा रहा है। यह अविश्वास सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनियाभर में कई देशों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को लेकर इसी प्रकार के सवाल उठाए जाते रहे हैं।

हालांकि, EVM के इस्तेमाल से चुनाव प्रक्रिया में तेजी आई है और इससे मतदान और मतगणना में पारदर्शिता भी आई है। फिर भी, विपक्ष की मांगें बैलेट पेपर की वापसी की ओर इशारा करती हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग भविष्य में इस मुद्दे पर क्या कदम उठाएगा और क्या विपक्ष के आरोपों का कोई समाधान निकलेगा।

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